make-war-plans

युद्ध की कला 1: योजना बनाना

Posted by
Reading Time: 5 minutes

सैन्य रणनीतिकार सून त्ज़ु की पुस्तक “युद्ध की कला” से जीवन की जंग कैसे जीतें? How to Win Wars of Life from the Formulas Laid Out in the Book “The Art of War” by Sun Tzu?

सून त्ज़ु यानी आचार्य सून (Sun Tzu ; 544-496 BC) जिनका जन्म नाम सून वू था, प्राचीन चीन के सेना नायक, रणनीति कार तथा दार्शनिक थे। माना जाता है कि सून त्ज़ु बींग्फ़ा (आचार्य सून की युद्ध नीति) नामक ग्रन्थ की रचना उन्होंने ही की थी। यह ग्रन्थ सैन्य नीति का बहुत प्रभावशाली प्राचीन ग्रंथ है।  Source

प्रस्तुत है सून त्ज़ु की पुस्तक “युद्ध की कला” का सामान्य अनुवाद :

युद्ध की कला राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सून त्ज़ु ने कहा है: युद्ध की कला राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसी भी राज्य/शासक/देश ( sovereign ) को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए युद्ध की कला अर्थात पर्याप्त संख्या में सैनिक (Army ) और योग्य सेनापति (general) की आवश्यकता महत्वपूर्ण ही नहीं अति आवश्यक होती, यह बात आम है| अन्यथा अन्य राज्य यानी दुश्मन कभी भी आक्रमण कर अपना आधिपत्य जमा सकता है। यह जीवन और मृत्यु का मामला है, सुरक्षा या बरबादी की एक राह है। इसलिए यह एक विचारणीय विषय है जिसकी किसी भी स्थिति में उपेक्षा नहीं की जा सकती है।

जब युद्ध क्षेत्र में आने वाली परिस्थितियों को निर्धारित करने की चेष्टा होती है तो युद्ध की कला पाँच स्थिर कारकों (factors) द्वारा संचालित होती है जिनका यहाँ चिंतन करते वक़्त ध्यान रखा जाना चाहिए। ये पाँच स्थायी कारक हैं:

1. नैतिक कानून

नैतिक कानून लोगों को अपने शासक का साथ पूरी तरह देने हेतु होता है ताकि वे अपने जीवन की परवाह किए बिना बेझिझक होकर खतरे का सामना कर सकें। अर्थ यह है कि शासक और प्रजा में परस्पर सौहार्दता बनी रहनी चाहिए, वे एक दूसरे का ख़याल रखें और परस्पर सम्मान दें ताकि विषम परिस्थितियों जैसे युद्ध आदि में वे एक दूसरे के प्रति निष्ठावान बने रहें और परस्पर बलिदान को तैयार रहें।

2. परलोक या आकाश नामक कारक

परलोक या आकाश नामक कारक रात और दिन, ठंड और गर्मी, समय और मौसम का प्रतीक है।  यह सूत्र स्व-सिद्ध है यानी युद्ध क्षेत्र में पारलौकिक परिस्थितियाँ ( जो हमारे वश में नहीं होती हैं) भी बहुत मायने रखती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपकी सेना रेगिस्तानी क्षेत्र में युद्ध हेतु अभ्यस्त है तो उसे बर्फीले क्षेत्रों में दुश्मन से उलझने से बचाना चाहिए; जो टुकड़ी दिन में लड़ने में सक्षम है उसे रात में लड़ने ना भेजें। इसी प्रकार विभिन्न मौसमों का परिवर्तन युद्ध के परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

3. पृथ्वी

पृथ्वी में शामिल हैं: निकट या अत्यधिक दूरी, खतरा और सुरक्षा, खुला मैदान और संकीर्ण मार्ग, जीवन और मृत्यु की संभावना।  पृथ्वी एक ऐसा कारक जो कि अत्यधिक महत्वपूर्ण है अर्थात ये सारे वास्तविक युद्ध या जीवन संघर्ष सब इसी धरातल पर लड़े जाते हैं, अब सवाल ये है कि आपका दुश्मन निकट है या दूर, खतरे के अनुपात में आपने कितनी सुरक्षा का बंदोबस्त किया है, मैदान खुला है तो युद्ध बराबरी पर छूट सकता है, संकीर्ण रास्ते पर आमने-सामने भिड़ंत होने पर मृत्यु की संभावनाएं बढ़ जाती है।
जीवन संघर्ष में इस सूत्र में प्रयुक्त प्रतीकों का अर्थ है कि आपकी धरातल पर वास्तविक स्थिति क्या है उसे देखते हुए आपको युद्ध यानी संघर्ष की दिशा पूर्व में ही तय कर लेनी चाहिए जैसे आपका लक्ष्य कितना पास या दूर है, आपकी राह आसान है अथवा मुश्किल, आपके जीवित रहने (सफल होने)  या  मृत्यु (असफल होने)  की कितनी संभावनाएं हैं। ये सब गणनाएँ हमें युद्ध यानी जीवन पथ अथवा किसी भी अभियान पर आगे बढ़ने से पूर्व ही कर लेनी चाहिए।

4. कमांडर

कमांडर ज्ञान, ईमानदारी, परोपकार, साहस और सख्ती के गुणों का प्रतीक होता है। कमांडर या सेनापति में उपरोक्त गुण अवश्य होने चाहिए अन्यथा युद्ध में हार निश्चित है। लीडर जो कर रहा है उसका उसे पूर्ण ज्ञान आवश्यक है। वह ना सिर्फ स्वयं बल्कि अपने साथियों के साथ ईमानदारी से पेश आए ताकि आपसी विश्वास बढ़े, ज़रूरत पड़ने पर मदद को तैयार रहे, साहसी कदम उठाकर अपने सिपाहियों अर्थात जीवन में अपने मातहतों और सहयोगियों का हौसला बढ़ा सके और जब अनुशासन और न्याय का मसला उठे तो सख्ती से फैसला ले–यही सच्चे कमांडर की पहचान है और वही जीत को निश्चित करेगा चाहे वह असली जंग हो अथवा जीवन संघर्ष। Win Wars of Life.

5. विधि और अनुशासन

विधि और अनुशासनके द्वारा सेना को समुचित टुकड़ियों में विभाजित किया जा सकता है, सिपाहियों को अधिकारियों में पदोन्नति देना, सड़कों का रखरखाव जिससे आपूर्ति सेना तक पहुँच सके और सैन्य खर्च पर नियंत्रण किया सकता है। उपरोक्त सूत्र स्पष्ट है: विधि यानी कोई कार्य करने का तरीका। अनेक लोग एक ही कार्य को अलग-अलग तरीके से करते हैं पर सारे सफल नहीं होते; सिर्फ वही सफल होता है जिसकी विधि सही है। विधि के साथ-साथ कठोर अनुशासन का पालन भी अति आवश्यक है।
इस सूत्र में सेना को टुकड़ियों में विभाजित करने का अर्थ जीवन संघर्ष में अपनी शक्ति को समुचित रूप से विभाजित करके जहां जिस प्रकार के सामर्थ्य का इस्तेमाल करना हो वैसा करें, अपने उपलब्ध संसाधनों को संभाल कर रखें, बजट बनाकर काम करें और आवश्यकतानुसार वित्तीय और अन्य साधनों की सप्लाई समुचित रूप संचालित होती रहे तो आपकी जीत निश्चित है।

प्रत्येक सेनापति को इन पाँच कारकों से परिचित होना चाहिए: जो उन्हें जानता है वह विजयी होगा; जो इन्हें नहीं समझता वह असफल होगा।

जीत या हार का अनुमान लगाना

इसलिए जब सैन्य परिस्थितियों को निर्धारित करने हेतु विचार-विमर्श अथवा मंथन करने की आवश्यकता होती है तो उन्हें निम्न प्रकार से तुलना का आधार बनाया जाए: (1) दोनों शासकों में से कौन नैतिक कानून से परिपूर्ण है? (2) दोनों सेनापतियों में अधिक सक्षम कौन है? (3) धरती और आकाश से किसको ज़्यादा लाभ प्राप्त होने की स्थिति हैं? (4) कौन सा पक्ष सर्वाधिक अनुशासित है? (5) कौन सी सेना अधिक मजबूत है? (6) अधिकारी और सैनिक किस तरफ बेहतर प्रशिक्षित हैं? (7) किस सेना में इनाम और दण्ड दोनों की स्थिरता अधिक है?

इन सात विचारों के माध्यम से हम जीत या हार का अनुमान लगा सकते हैं। जो जनरल इस बात को समझेगा और उस पर कार्रवाई करेगा तो वह जीत जाएगा, उसे कमान में बने रहने देना चाहिए! ऐसा जनरल जो उपरोक्त सलाह नहीं सुनता है और न ही उस पर अमल करता है उसे हार का सामना करना पड़ेगा; इस तरह के सेनापति को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। इन सलाहों का लाभ उठाने के साथ-साथ सामान्य नियमों के अतिरिक्त  उपलब्ध किसी भी सहायक परिस्थितियों का भी लाभ उठाएं। परिस्थितियों के अनुसार किसी भी योजनाओं को संशोधित करना चाहिए।

सभी युद्ध धोखे पर आधारित हैं

सभी युद्ध धोखे पर आधारित हैं: इसलिए, जब हम हमला करने में सक्षम हों तो हमें असमर्थ दिखना चाहिए; अपनी शक्तियों का उपयोग करते समय हमें निष्क्रिय प्रतीत होना चाहिए; जब हम पास हों तो हमें दुश्मन को यह प्रतीत होना चाहिए कि हम बहुत दूर हैं; जब हम दूर हों, तो उन्हें ऐसा लगे कि हम निकट हैं। इस सूत्र को जीवन संघर्ष अथवा बिज़नेस में लागू करने के लिए युद्ध से मतलब प्रतियोगिता से लें तो जीवन अथवा मार्केट में क्या रणनीति अपनाई  जानी चाहिए यह स्पष्ट समझा जा सकता है…To be Able to Win Wars of Life.

दुश्मन (प्रतियोगी) को लुभाने के लिए चारा (प्रलोभन) निकाल कर रखें। फिर अव्यवस्थित होने का स्वांग कर उसे कुचल दें।यदि वह सभी स्थलों या कोनों पर सुरक्षित है तो उसके लिए तैयार रहें। यदि वह अधिक शक्तिशाली स्थिति में है तो उससे बच निकलें। यदि आपका प्रतिद्वंद्वी तुनक मिज़ाज यानी चिड़चिड़े स्वभाव का है, तो उसे चिढ़ाने की कोशिश करें। कमजोर होने का दिखावा करें ताकि वह घमंडी हो जाए।

यदि वह आराम कर रहा है तो उसे आराम न करने दें। यदि उसका सेना बल एकजुट हैं तो उनको विभाजित कर दें। जहां वह तैयार नहीं है वहीं उस पर हमला करें और जहां आप अपेक्षित नहीं हैं वहां अचानक दिखाई पड़ें। जीत दिलाने वाली इन सैन्य पद्धतियों (Marketing Strategies) को पहले से प्रकट नहीं किया जाना चाहिए।

चूंकि एक जीतने वाला जनरल /सेनापति/लीडर वह होता है जो लड़ाई लड़ी जाने से पूर्व ही अपने शिविर में कई गणनाएँ कर लेता है इसलिए वह जीत जाता है। लेकिन लड़ाई हारने वाला लीडर पहले से ही कुछ विशेष गणना नहीं करता है। इस प्रकार कई गणनाएँ जीत की ओर ले जाती हैं और कम गणनाएँ ही हार का कारण बनती है! सिर्फ इस बिंदु पर ध्यान देकर हम दावे से पूर्वानुमान लगा सकता हैं कि किस शासक/सेनापति/लीडर के जीतने या हारने की संभावना है।

उपरोक्त “युद्ध की कला”  (Art of War ) के समस्त सूत्र इस प्रकार जीवन में उतारकर हम ज़िंदगी के किसी भी मोर्चे पर जीत हासिल कर सकते हैं। That’s How You Can Win Wars of Life!

अध्याय 1: समाप्त

Featured Image: Courtesy Library of Congress/Official British Army photo No. BO 773 [BM 7241]Read English Text of The Art of War: Here Copyright Ⓒ2021 Rao TS – All Rights Reserved
Follow Rao TS

Sharing is Caring!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *