कॉमिक बुक व फिल्म “18 डेज़”: गज़ब की ग्राफ़िक्स कला!
मशहूर हालीवुड फिल्म “बेटमैन” के लेखक ग्रांट मारिसन एवं भारतीय सुपरस्टार आर्टिस्ट मुकेश सिंह ने अपनी मुक्ताकाशी कल्पना से कॉमिक कला-चित्रण को एक अविश्वनीय-सा नवीन आयाम दिया| गज़ब के साइकेडेलिक रंग, परग्रही-सी वेशभूषा में पात्र, आधुनिक साई-फाई यानि विज्ञान फंतासी और पौराणिक परिवेश की ज़बरदस्त मायावी दुनिया रची गयी है इन कलाकारों द्वारा। यह सब आप देख सकेंगे ग्रांट मोरीसन द्वारा रचित कॉमिक बुक व फिल्म सीरीज़ “18 डेज़” (18 दिन) में। यह एनिमेटेड प्रोजेक्ट ग्राफिक इंडिया द्वारा निर्मित किया गया है।






महाभारत को एक नई दृष्टि से देखते हुए, 18 डेज़ तीन पीढ़ियों के महायोद्धाओं के उस निर्णायक टकराहट की कहानी है जिसके परिणाम-स्वरुप द्वापर युग का अंत तथा कलयुग का आरम्भ होता है! इस कहानी में महाबली योद्धा लोग अपनी-अपनी विशाल सेनाओं के साथ युद्ध भूमि में उतरते हैं–भविष्य का भाग्य निर्धारित करने हेतु। यह एक ऐसा युद्ध है जो भूत, वर्तमान और भविष्य में होने वाले किसी भी युद्ध से कई गुना भयानक और विनाशकारी है। 18 डेज़ महाभारत की एक अनोखी पुन:र्कल्पना है।
हालांकि मूल कृति की बात करें तो महर्षि व्यास लिखित महाकाव्य महाभारत का जितना बखान किया जाए उतना ही कम है, दरअसल जिस वक़्त आप यह लेख पढ़ रहे हैं उसी वक्त दुनिया भर में हज़ारों लोग इस विषय पर पढ़-लिख रहे या चर्चा कर रहे होंगे। दो लाख संस्कृत श्लोकों से रचित यह दुनिया का विशालतम महाकाव्य है जिसमें एक अत्यंत रोचक कथा के माध्यम से प्राचीन भारतीय परम्पराओं व जीवन मूल्यों को रेखांकित किया गया है।
यह गाथा इतनी रोमांचक है कि जो कोई इसे सुनता-पढ़ता या देखता है वह इस अविश्वनीय सी कहानी को चाहते हुए भी झुठला नहीं पाता। अलग-अलग रंगों के चरित्र एवं उनका सम्पूर्ण जीवन चित्रण आपको अपने स्वयं जीवन के हर एक पहलू पर एक सटीक सलाह दे जाता है। ऊपर से, इतना ज़बरदस्त कथानक जैसा आज तक के इतिहास में कोई किताब या फिल्म में नहीं मिलेगा, बल्कि लगता ऐसा है मानो आधुनिक ज़माने की सारी रचनाएं महाभारत के ही किसी पृष्ठ से निकली हों।
कहानी में एक राज परिवार के चचेरे भाईयों का हस्तिनापुर के सिंहासन हेतु झगड़ा, सत्य और असत्य के बीच की खींच-तान, और अंतत: कुरुक्षेत्र युद्ध में लाखों लोगों की मृत्यु के पश्चात सत्य की विजय। कहा जाता है कि मात्र 18 दिन चले इस महायुद्ध में दोनों पक्षों को मिलाकर तकरीबन 40 लाख सैनिक मारे गए थे! ऐसा तभी संभव है जब उन महारथियों के पास परमाणु शस्त्र रहे हों, शायद वही होंगे जिन्हें वे “दिव्यास्त्र” कहते थे।
इन दिव्यास्त्रों की प्राप्ती हेतु मनुष्य कठोर तप द्वारा देवताओं को प्रसन्न करते थे, यानी मनुष्य और देवतागण आपस में सपर्क कर सकते थे—यह फिर एक रोचक तथ्य है। कुछ लोग इस कथा को मात्र ऋषि व्यास की कोरी फंतासी कहते हैं।अगर ऐसा भी मान लिया जाए तो वेद व्यास गज़ब की कल्पना के धनी रहे होंगे जो आधुनिक युग के महाविनाशी हथियारों की कल्पना तकरीबन 5000 वर्ष पूर्व कर गए।
मेरी व्यक्तिगत राय है कि यह घटना सत्य थी क्योंकि यह कथा और इसके पात्र भारत और अब सारे संसार के सामूहिक जन-मानस में जितने गहरे पैठ गए हैं वही सबसे पुख्ता प्रमाण है। बेशक इस पर सदियों-सदियों से अनेकों लोगों की टीकाओं की परत-दर-परत चढ़ती गयी होगी अत:एव इस कथा के कुछ अंश अतिशयोक्तिपूर्ण लग सकते हैं। बहरहाल, आप क्या सोचते हैं? अपनी प्रतिक्रया नीचे कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर देवें।
इस कॉमिक बुक को आप खरीद सकते है यहाँ से: http://www.graphicindia.in/comic-books/grant-morrisons-18-days-mahabharata/
यू-ट्यूब पर इस फिल्म को देखें: https://www.youtube.com/playlist?list=PL0URXvuYeX36CkQlCR8XUftVUy_muFFRw
आर्टिस्ट मुकेश सिंह का फेसबुक पेज: https://www.facebook.com/mukeshsinghartworks/
All images courtesy: https://graphicindia.com/
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