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क्या विचारों को गुप्त रखा जा सकता है?

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जेम्स एलेन (James Allen) अपनी प्रसिद्ध कृति “जैसा कि एक व्यक्ति सोचता है” (As A Man Thinketh) में कहते हैं:Thoughts and Results: लोग कल्पना करते हैं कि विचार को गुप्त रखा जा सकता है लेकिन यह नही हो सकता।  विचार तेजी से आदत में बदल जाता है और आदत परिस्थिति के रुप में प्रकट हो जाती है। पाशविक विचार नशे और कामुकता की आदतों में प्रकट होते हैं जो आगे जाकर विनाश और बीमारी की परिस्थितियों के रुप में पैदा होते हैं। किसी भी प्रकार के अशुद्ध विचार दुर्बलता और भ्रम को बुलावा देते हैं । ऐसे विचार विचलित करने वाली और प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण बनते हैं। भय, संदेह, और अनिर्णय के विचार कमजोर, कायरता और अनिश्चितता की आदतों में क्रिस्टलीकृत होते हैैं। जो आगे चल कर विफलता, फकीरी और गुलामी जैसी कई परिस्थितियों रूप में सामने आते हैं। This is rule of thoughts and results.

आलसी विचार अस्वच्छता और बईमानी की आदतों में बदल जाते हैं जो  कपटपूर्ण और भिखमंगी की परिस्थितियों में परिवर्तित हो जाती है। घृणित और निंदनीय विचार आरोप-प्रत्यारोप और हिंसा की आदतों में बदल जाते हैं। उसके पश्चात वे  हानिकारक और उत्पीड़न की परिस्थितियों में प्रकट होते हैं। सभी प्रकार के स्वार्थी विचार खुदगर्ज़ी की आदतों में बदलकर कमोबेश कष्टप्रद परिस्थितियों का कारण बनाते हैं।

सुंदर विचार कृपा और दयालुता की आदतों में परिवर्तित हो जाते हैं Thoughts and Results

Beautiful Thoughts. दूसरी ओर, सभी प्रकार के सुंदर विचार कृपा और दयालुता की आदतों में क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं, जो मिलनसार और खुशमिज़ाज़ की परिस्थितियों में प्रकट होते हैं। शुद्ध विचार संयम और आत्म-नियंत्रण की आदतों में क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं, जो विश्राम और शांति की परिस्थितियों में सामने आते हैं। साहस, आत्मनिर्भरता, और मर्दाना निर्णय बहुत सी ऐसी आदतों में क्रिस्टलीकृत होते हैं। वही विचार सफलता, बहुतायत और स्वतंत्रता की परिस्थितियों के रुप में प्रकट होते हैं।

ऊर्जावान विचार स्वच्छता और उद्योग की आदतों में क्रिस्टलीकृत होते हैं, जो माधुर्य, जिंदादिली और सुखदाई परिस्थितियों में दिखाई पड़ते हैं। सौम्य और क्षमाशील विचार शिष्टता की आदतों में क्रिस्टलीकृत होते हैं जो सुरक्षात्मक और परिरक्षक परिस्थितियों में जम जाते है। प्यार और निःस्वार्थ विचार अन्य लोगो हेतु आत्म-विस्मरण (self-forgetfulness) की आदतों में क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं जो आगे चलकर निश्चित समृद्धि और सच्चे धन की परिस्थितियों में प्रकट होते हैं। Thoughts cause the  results.

परिस्थितियों को न सही विचारों को तो सही चुनो

विचार की एक विशेष धारा चाहे यह अच्छी है या बुरी, वह चरित्र और परिस्थितियों पर इसके परिणामों को बेशक प्रभावित करती है। एक आदमी अपनी परिस्थितियों को सीधे नहीं चुन सकता है, लेकिन वह अपने विचारों को चुन सकता है। और इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से, निश्चित रूप से, अपनी परिस्थितियों को आकार देता है। प्रकृति हर आदमी को उन विचारों की संतुष्टि यानी परिणिति में मदद करती है: जो वह सबसे अधिक प्रोत्साहित करता है और ऐसे अवसर प्रस्तुत किए जाते हैं जिससे अच्छे और बुरे दोनों विचारों को तेजी से सतह पर लाया जा सके।So Choose Good Instead of Bad Thoughts

इसीलिए मनुष्य स्वयँ को अपने पापी विचारों से विमुख होने दें तो सारा संसार उसके प्रति नरमी बरतेगा और उसकी मदद करने के लिए तैयार रहेगा। जिसने अपने कमजोर और बीमार विचारों को दूर कर दिया तो उस पर अवसरों पर वसंत छा जाएगा। और अपने मजबूत संकल्प को सहायता देने के लिए हर हाथ उसके साथ होगा। उसे अच्छे विचारों को प्रोत्साहित करने दें तो कोई भी दुर्भाग्य उसे विफलता, शर्म और गरीबी की तरफ बाध्य नहीं करेगा। दुनिया आपका बहुरूपदर्शक (kaleidoscope) है। तथा अलग-अलग रंगों के संयोजन से जो हर अगला क्षण यह आपके लिए जो प्रस्तुत करता है वह आपके हमेशा चलायमान रहने वाले विचारों की उत्कृष्ट रूप से समायोजित तस्वीरें ही हैं। That’s the Result of Good Thoughts or Bad Thoughts!

Featured: Image by Gerd Altmann from Pixabay

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