जेम्स एलेन (James Allen) अपनी प्रसिद्ध कृति “जैसा कि एक व्यक्ति सोचता है” (As A Man Thinketh) में कहते हैं: शरीर मन का सेवक है, यह मन के आदेश का पालन करता है। चाहे वह जानबूझकर चुना गया हो या अनजाने में किया हो। अनियमित विचारों के प्रभाव से शरीर तेजी से रोगी और कमज़ोर हो जाता है। आनंदित और अच्छे विचारों के प्रभाव से शरीर युवा और सुंदर बन जाता है। Relation Between Thoughts and Health.
रोग और स्वास्थ्य के मूल में विचार ही हैं Thoughts and Health
Thoughts and Diseases are Interconnected.रोग और स्वास्थ्य जैसी परिस्थितियों के मूल में विचार ही हैं। बीमार विचार खुद को एक बीमार शरीर के माध्यम से व्यक्त करेंगे। डर के विचारों से आदमी तेजी से मारा जाता है, जिस प्रकार गोली से। और ऐसे विचार लगातार हजारों लोगों को मार रहे हैं हालांकि गोली के मुकाबले कम तेजी से। जो लोग बीमारी के डर से जीते हैं उन्हें ही बीमारी सबसे पहले पकड़ती हैं। चिंता जल्दी से पूरे मनोबल को गिरा देती है और यह बीमारी के प्रवेश द्वार को खोल देती हैं| अशुद्ध विचार भले ही शारीरिक रूप से लिप्त न हों, जल्द ही तंत्रिका तंत्र बिखेर देंगे|
शरीर एक नाज़ुक प्लास्टिक जैसा उपकरण है
मजबूत, शुद्ध और खुशहाल विचारों से शरीर में सुघड़ता और जोश आता है। हमारा शरीर एक नाज़ुक और प्लास्टिक जैसा उपकरण है जो प्रभावित करने वाले विचारों पर आसानी से प्रतिक्रिया करता है| और विचारों के प्रभाव को शरीर पर दर्शाएंगे, चाहे वे अच्छे हो या बुरे। लोगों में अशुद्ध और ज़हरीला खून तब तक भरता रहेगा जब तक कि वे अशुद्ध विचारों को फैलाते रहेंगे। एक अपवित्र मन से अशुद्ध जीवन और एक भ्रष्ट शरीर पैदा होता है।Thus Thoughts Affect Health
उसके उलट, साफ दिल से स्वच्छ जीवन और एक साफ शरीर बनता है। विचार क्रिया, जीवन और अभिव्यक्ति का फव्वारा है; अपना फव्वारा शुद्ध बनाओ और सब शुद्ध होगा। आहार में बदलाव से ऐसे व्यक्ति को मदद नहीं मिलेगी जो अपने विचारों को नहीं बदलेगा। जब कोई व्यक्ति अपने विचारों को शुद्ध बनाता है, तो फिर उसे अशुद्ध खाने की इच्छा नहीं होती है। So, yet another argument to prove that Thoughts Affect Health.