Inspired by “First of May”, a song in the double album Odessa by the Bee Gees released in 1969 .
कविता: वो कनेर बौना सा हुआ अब
विशाल कनेर के साए में लड़कपन, छोटे-छोटे से थे हमारे मन,
अपनी दोपहरें थीं प्रेम में मस्त , बाकी हम-उम्र भागम-भाग में व्यस्त |
मत पूछो कैसे गुज़र गयी ये कमबख्त उम्र,
किसी घोर अज़नबी संग… जैसे तुम फुर्र्र|
याद है वो मई का दिन, पीले फूलों की बारीश, जब मैंने तुम्हें चूमा था?
लम्हा-लम्हा ज़र्रा-ज़र्रा रंगीन हो गया, जब तुम साथ हो लिए थे|
प्रेम अमर है मेरा तुम्हारा, सदैव वैसा ही ज़वान,
मगर मई का वो दिन हमेशा आँखे गीली कर जाता क्यों?
कल सपने में फिर तुम्हें उसी कनेर के नीचे ले गया|
अब ताड़ से लम्बे-लम्बे हमारे मन और कनेर हो गया कितना बौना |
मत पूछो कैसे गुज़र गयी ये कमबख्त उम्र,
किसी घोर अज़नबी संग… जैसे तुम फुर्र्र|
विशाल कनेर के साए में लड़कपन, छोटे-छोटे से थे हमारे मन,
अपनी दोपहरें थीं प्रेम में मस्त , बाकी हम-उम्र भागम-भाग में व्यस्त |,
अब ताड़ से लम्बे-लम्बे हमारे मन और कनेर हो गया कितना बौना|
प्रेम अमर है मेरा तुम्हारा, सदैव वैसा ही ज़वान,
मगर मई का वो दिन हमेशा आँखे गीली कर जाता क्यों?
मत पूछो कैसे गुज़र गयी ये कमबख्त उम्र,
किसी घोर अज़नबी संग… जैसे तुम फुर्र्र|
विशाल कनेर के साए में लड़कपन, छोटे-छोटे से थे हमारे मन,
अपनी दोपहरें थीं प्रेम में मस्त , बाकी हम-उम्र भागम-भाग में व्यस्त |
प्रेम अमर है मेरा तुम्हारा, सदैव वैसा ही ज़वान,
मगर मई का वो दिन हमेशा आँखे गीली कर जाता क्यों?
अब ताड़ से लम्बे-लम्बे हमारे मन और कनेर हो गया कितना बौना| कनेर हो गया कितना बौना…
XXX
उपरोक्त कविता गुज़रे ज़माने के एक मशहूर अंग्रेज़ी बैंड ” बी जीज़” (Bee Gees ) के एक गीत “First of May” से प्रेरित हैं| इस अत्यंत सुन्दर और सुरीले व भावपूर्ण प्रेम-गीत को इंग्लिश में पढ़ने और सुनने के लिए दिये लिंक पर जाए:
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