जेम्स एलेन (James Allen) अपनी प्रसिद्ध कृति “दरिद्रता से शक्ति तक” (Poverty to Power) में कहते हैं: Secret of Unlimited Happiness: जितनी ज़बर्दस्त सुख की प्यास है उतनी ही ज़्यादा सुख की कमी है। ज़्यादातर ग़रीबों का मानना है कि धन प्राप्त करके उन्हें श्रेष्ठ और स्थायी खुशी मिलेगी। बहुत से जो अमीर लोग हैं वो अपनी हर इच्छा को पूरा कर चुकने के बावज़ूद भी ऊब और परिपूर्णता की कमी से पीड़ित हैं और वे बहुत से गरीब लोगों से भी बदतर हालात में हैं।
अगर हम स्थिति पर विचार करते हैं, तो यह अंततः हमें उस महत्वपूर्ण सत्य के ज्ञान की ओर ले जाएगा कि खुशी बाहर की संपत्ति से नहीं पाई जाती है; और न ही धन की कमी से दुख। यदि ऐसा होता तो गरीब को हमेशा दुखी, और अमीर को हमेशा खुश रहना चाहिए था जबकि अक्सर इसके उलट होता है। बहुत से लोग जिन्होंने धन संचय किया है, उन्होंने कबूल किया है कि धन प्राप्त करने के बाद जो स्वार्थपूर्ण संतुष्टि प्राप्त हुई है उसने जीवन के मिठास को लूट लिया है और जब वे गरीब थे तो बहुत खुश थे।
खुशी क्या है और इसे कैसे हासिल किया जाए? What is Unlimited Happiness?
तब खुशी क्या है और इसे कैसे हासिल किया जाए? क्या यह एक कपोल कल्पना है, एक भ्रम है? और क्या हम हमेशा बारह मासी पीड़ित है? हम गंभीर अवलोकन और विचार करने के बाद पाएंगे कि (जिन्होंने ज्ञान के रास्ते में प्रवेश किया है उनको छोड़कर बाकी) सब लोगों का मानना है कि खुशी केवल इच्छा/वासना की संतुष्टि द्वारा प्राप्त की जा सकती है। यह विश्वास अज्ञानता रुपी खाद से पोषित है और लगातार स्वार्थी लालसाओं के पानी से सिंचित है; यही दुनिया में सभी दुखों का कारण है।
और ये इच्छाएं , लालसाएं या वासनाएं सिर्फ जानवर द्वारा जानवर पैदा करने करने की प्रकृति तक ही सीमित नहीं हैं। ये उच्च मानसिक क्षेत्र तक फैली हुई है जहां कहीं अधिक शक्तिशाली, सूक्ष्म और कपटी पदार्थ हैं, जो बौद्धिक रूप से परिष्कृत हैं; ये हम सभी को सौंदर्य, सद्भाव और आत्मा की पवित्रता, जिनकी अभिव्यक्ति खुशी है, से वंचित करते हैं ।
अधिकांश लोग यह स्वीकार करेंगे कि दुनिया में समस्त अप्रसन्नता का कारण स्वार्थ है लेकिन वे आत्मा को नष्ट करने वाले ऐसे भ्रम में पड़ जाते हैं कि यह किसी और का स्वार्थ है, न कि उनका अपना।