यह सर्वविदित है कि ॐ (ओऽम) ब्रह्मांड का आदि स्वर है।ओऽम, ओमकार अथवा प्रणव मंत्र वैदिक एवं पुरातन काल से भारतीय संस्कृति का अविभाज्य घटक है एवं यह हमारी संस्कृति में अति श्रद्धा से पूजा जाता है। प्राचीन काल से ओम के साथ गूढ़ता एवं रहस्य जुड़े हुए थे लेकिन आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों के उपरांत यह साबित हो गया है कि ओंकार (ओमकार) जाप के अनेकानेक शारीरिक, मानसिक एवं अध्यात्मिक लाभ हैं। ॐ विश्व व्यापक तथा सार्वभौम तत्व है, यह ध्वनि प्रत्येक शब्द, वस्तु एवं अस्तित्व में समाया हुआ है तथा योग के साथ इसका अटूट संबंध है।
ॐ एक शुद्ध ध्वनि है, अन्य शब्द या मंत्र का कुछ न कुछ अर्थ होता है परंतु ओऽम का व्याकरण की दृष्टि से कोई अर्थ नहीं है। यह सिर्फ एक अनाहत (जो टकराहट से उत्पन्न न हुआ हो), अनहद (सीमा से परे) नाद (ध्वनि) है जिसका बारंबार उच्चारण करने से हमें ब्रह्मानंद की प्राप्ति होती है|
ओम के उच्चारण में भ्रांतियाँ
लेकिन यहां योग दर्शन और साधना के एक छात्र के रूप में, मैं उलझन में था कि ओम का शास्त्रीय उच्चारण कैसे किया जाए, ताकि हम इस महामंत्र का पूरा लाभ उठा सकें। क्योंकि आजकल ओमकार जप की अनेक अलग-अलग विधियाँ आधुनिक, विशेषकर पाश्चात्य गुरुओं द्वारा बताई जाती है। देखिये एक पश्चिमी गुरु का ओम का एक अजीब सा उच्चारण!
प्रमाणिक शास्त्रों के अनुसार ॐ
तो कुछ खोज के पश्चात मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि प्रमाणिक शास्त्रों के अनुसार ॐ को ओम् या ओऽम् की तरह लिखते हैं। अ, उ, म् इन तीन स्वरों से ओम हुआ है: सो हर एक स्वर का अलग-अलग उच्चारण करने को कहा गया है। हालांकि सभी सुचारू रूप से एक साथ विलीन होकर एक ही स्वर से प्रतीत होते हैं।
जिस प्रकार कि निम्न विडियो में सद्गुरु प्रदर्शित कर रहे हैं:
ओंकार के तीन प्रकार
ओमकार के लाभों के बारे में काफी आधुनिक रिसर्च के पश्चात विज्ञान भी उन्हें सच मानता है तो यहाँ हम सिर्फ ओमकार का उच्चारण किस प्रकार करें यानी ओमकार जप की विधि क्या है, उसके क्या लाभ होते हैं, उसकी चर्चा करते हैं। ओंकार तीन प्रकार से किया जा सकता है, स्पष्टता हेतु हर एक विधि के नीचे दिया गया ऑडियो सुने :
1. (अ+उ) ओ ऽऽऽऽऽऽ + म् ऽऽऽऽऽऽ : दोनों स्वर समान समय के होते हैं:
2. (अ+उ) ओ ऽऽऽऽऽऽ + म् ऽऽऽ : ओ का उच्चारण म् से दुगुना होता है:
3. (अ+उ) ओ ऽऽऽ + म् ऽऽऽऽऽऽ: म् की ध्वनि को ओ की अपेक्षा दुगुना करते हैं:
ध्यान रहे अ के उच्चारण से नाभी क्षेत्र, उ से ह्रदय व गर्दन तथा म से गर्दन से ऊपर समस्त मुख और मस्तिस्क क्षेत्र में कम्पन उत्पन्न होगा; यही सूचक है कि आप ठीक प्रकार से उच्चारण कर रहे है। यदि निर्दिष्ट शारीरिक अंगों के आसपास गूंज नहीं हो रही है तो आपको बारम्बार अभ्यास करके इसे साधना होगा।
उपरोक्त तीन विधियों से अगर आपको किसी प्रकार का भ्रम होता है तो एक बहुत ही सरल अनुपात विधि निम्न प्रकार से है:
4. (अ : उ : म्) = (1: 2: 4)
अर्थात अगर आप अ का उच्चारण लगभग 3 सेकण्ड में करते हैं तो उ व म क्रमश: 6 व12 सेकण्ड के आसपास होना चाहिए। एकदम परफेक्ट अनुपात बनाने की चिंता ना करें–उपरोक्त चारों तरीकों को लगभग समयानुपात में मानकर चलें|
अ का अर्थ है ब्रह्म, उ कार विष्णु और म् याने महेश| अत:एव ओऽम अर्थात उत्पत्ति, वृद्धि-विकास तथा मौन अथवा ब्रह्मलीन हो जाना| अन्य व्याख्याओं में इसे भूत, वर्तमान एवं भविष्य काल; जागृति, स्वप्न निद्रा या तमस, राजस और सात्विक गुण सूचक माना गया हैं।
तीनों प्रकार के उच्चारणों से लाभ Om Mantra Pronunciation
आईये अब उपरोक्त वर्णित तीनों प्रकार के उच्चारणों से लाभ के बारे में चर्चा करते हैं:
I. जिन साधकों को शारीरिक और भौतिक लाभ चाहिए उन्हें पहला (दोनों स्वर समान समय) व दूसरा तरीका (ओ का उच्चारण म् से दुगुना) अपनाना चाहिए।
II. लेकिन जो कोई आत्मिक उन्नति करना चाहता है उसे तीसरी विधि से उच्चारण करना चाहिए अर्थात ओंकार में म् ऽऽऽऽऽऽ प्रदीर्घ यानि लंबा करने से आपका मन शिथिल और शांत होकर भीतर की गहराईयों में चला जाता है और ध्यान लगाने में आसानी हो जाती है।
ॐ मन्त्र जाप का महात्म्य
यहां पर यह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है कि हमारे समस्त ग्रंथों में ॐ के महात्म्य का कितना वर्णन किया गया है| संक्षेप में कहें तो हठयोग में उल्लेख किया गया है कि ओम अर्थात प्रणव जप आपको ध्यान और समाधि तक ले जा सकता है, उसकी इतनी क्षमता है| अन्य मंत्रों के जप में चित विचलित हो सकता है लेकिन ओम के जप में चित्त एकाग्र होता है और ध्यान लगता है|
प्रश्नोपनिषद के अनुसार यदि आप क्लेशों से छुटकारा चाहते हो तो प्रणव जपा करो तो कठोपनिषद कहता है कि जो कोई प्रणवोच्चार करेगा उसकी हर इच्छा पूरी होगी| वराह उपनिषद में कहा गया है कि ओम का उच्चारण कम समय (हृस्व) में किया तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और प्रदीर्घ उच्चारण किया तो मोक्ष प्राप्ति होती है| वृहत सन्यास उपनिषद के अनुसार हर रोज 12000 बार ॐ का जाप करने से सभी पाप धुल जाते हैं एवं यदि ऐसा साल भर किया तो ब्रह्म-ज्ञान प्राप्त होकर परमेश्वर से साक्षात्कार होता है।
आप भी ओंकार जप मात्र 10 या 21 से शरू करके जहां तक संभव हो, संख्या बढ़ावें एवं नियमित रूप से अभ्यास जारी रखें| ओंकार की साधना से अलौकिक शक्ति और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है वास्तव में यह ओंकार जप ऐसी सर्वश्रेष्ठ साधना है जो मंत्र योग, भक्ति योग, हठयोग तथा राजयोग सबको एक साथ जोड़ने वाली एक अद्भुत कड़ी है।
आश्चर्यजनक किन्तु सत्य
प्रसंगवश, यहाँ उल्लेखनीय है कि NASA ने सूर्य के कम्पन ( Vibration ) की आवाज रिकॉर्ड की है और यह कहा जाता है सूरज की आवाज ओमकार के सामान प्रतीत होती है। नासा का उक्त विषय में जारी अधिकारिक विडियो नीचे देखें:
Om Mantra Pronunciation: इस सन्दर्भ में आपकी क्या राय है, अपने विचार नीचे कमेन्ट बॉक्स में अवश्य लिखें:
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