जेम्स एलेन (James Allen) की प्रसिद्ध कृति “जैसा कि एक व्यक्ति सोचता है” (As A Man Thinketh) का स्वतंत्र हिंदी अनुवाद; अध्याय 3: अच्छे विचार अच्छे फल देंगे, बुरे विचार बुरे फल।
हर विचार-बीज जो बोया या मन में गिरने दिया और जिसे जहाँ-जहाँ जड़ें फैलाने दिया वह देर-सवेर खिलकर किसी कृत्य को उत्पन्न करेगा जो अवसर और परिस्थिति के अनुसार अपना फल देगा: अच्छे विचार अच्छे फल देंगे, बुरे विचार बुरे फल।
विचारों की भीतरी दुनिया के कारण परिस्थिति की बाहरी दुनिया खुद को आकार देती है। चाहे सुखद हो या अप्रिय दोनों बाहरी परिस्थितियाँ ऐसे कारण हैं जो अंत में व्यक्ति के अच्छे के लिए होते हैं। स्वयँ अपनी खुद की बोई फसल को काटने का उत्तरदाई मनुष्य दुख और आनंद दोनों के द्वारा सीखता है।
हर जगह विकास और समायोजन के नियम लागू होते हैं Result of Good Thoughts and Bad Thoughts.
अंतरतम (मन के सबसे भीतरी भाग) की इच्छाओं, आकांक्षाओं और विचारों के परिणाम-स्वरूप जिस किसी भी विचार को खुद पर हावी होने दिया जाता है ( चाहे वह असंभव सी अशुद्ध कल्पना हो या दृढ़ता से उच्च प्रयास के राजमार्ग पर चलना हो) आखिरकार व्यक्ति अपने जीवन की बाहरी परिस्थितियों में, अपने फल और पूर्ति के पड़ाव पर पहुंच ही जाता है इस प्रकार हर जगह विकास और समायोजन के नियम लागू होते हैं।
कोई भी व्यक्ति भाग्य या परिस्थिति जनक अत्याचार से ना तो भिखारी बनता है ना ही जेल जाता है बल्कि दीन-हीन विचारों और नीच वासनाओं के मार्ग से वहां पहुँचता है| किसी भी बाहरी शक्ति के प्रभाव से एक शुद्ध दिमाग वाला अचानक अपराध में नहीं गिरता है बल्कि एक अपराधी विचार लंबे समय से, चुपके से उसके दिल में था, और अवसर के आते ही अपनी एकत्रित शक्ति में वह विचार प्रकट हो जाता है ।
परिस्थितियां आदमी को नहीं बनाती हैं; परन्तु उनके ज़रिए व्यक्ति स्वयं को प्रकट करता है| ऐसी कोई भी स्थिति मौजूद नहीं हो सकती है जिसके चलते इंसान बुराई के गर्त में गिरकर दुःख झेले, बल्कि कारण निश्चित रुप से सिर्फ बुराई की तरफ झुकाव होना ही हो सकता है। इसी प्रकार ऊपर उठकर सद्गुणों या पुण्य और इसकी शुद्ध खुशी का आनंद पुण्य आकांक्षाओं की निरंतर खेती के बिना संभव नहीं है|