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कैसे अकेले इज़रायल ने चार अरबी फौजों को धूल चटा दी!

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भारत -चीन  ताज़ा  सीमा विवाद के सन्दर्भ में विशेष  (Arab-Israel War 1967)

वैसे तो इजरायल जबसे 1948 में बना  तभी से सारे अरब देश उसके अस्तित्व के दुश्मन थे इसी वज़ह से उनके बीच पहले भी दो बार युद्ध हो चुका था। लेकिन जून 1967 के युद्ध में चार अरबी देशों की फौजों ने इज़राईल का नामो-निशाँ मिटाने की ठान ली थी। परन्तु  यहूदियों ने भी कोई  कच्ची गोलियां  नहीं खेली थी। मात्र 6 दिन चले इस भीषण युद्ध में इज़रायली फ़ौज ने पहली ही दिन दुश्मनों के लगभग 550 लड़ाकू विमान नष्ट कर दिए और युध्द के अंत तक अपने से चार गुना ज्यादा भूभाग दुश्मनों से जीत कर कब्ज़ा कर लिया।   That Ended Arab-Israel War 1967 in 6 Days Only.

इस चित्र में पीले रंग में सारे  बड़े बड़े अरबी देश और एक लाल सा छोटा धब्बा है इजराईल इन दुश्मनों से घिरा  हुआ ( Source: overpassesforamerica.com)आखिरकार हमारे राज्य मणिपुर जितने छोटे से देश इजरायल ने अपने चारों और के कुल मिलाकर अपने क्षेत्रफल से लगभग 40-50 गुना से ज्यादा चार अरब देशों की भारी-भरकम फौजों को कैसे नेस्तनाबूद कर दिया?

भ्रमित कर अप्रत्याशित हमला 

इजरायल युद्ध नहीं चाहता था यह उसके तत्कालीन  प्रधानमंत्री लेवी इश्कोल ने जग ज़ाहिर कर दिया था। यहाँ तक कि इस लड़ाई को टलवाने हेतु उसने एक प्रतिनिधिमंडल समस्त शक्तिशाली राष्ट्रों जैसे अमरीका, ब्रिटन, रूस आदी में भेज रखा था लेकिन जब चारों और से यानी पश्चिम से मिश्र, पूर्व से जॉर्डन, उत्तर से सीरिया, उत्तर-पूर्व से इराक़ की सेनाएं अपनी-अपनी दिशा से आक्रमण को तैयार थी और मिश्र तो सिनाई प्राय:द्वीप के रास्ते रेगिस्तान में घुसकर अपनी बड़ी टैंक बटालियन लेकर इजरायल के सर पर आ बैठा था। इनके अतिरिक्त कुवैत, स. अरब, सुडान और अल्जीरिया के सेनाएं जॉर्डन में गुप-चुप अड्डा बना कर इज़रायल पर हमले को  तैयार थी।

इज़रायल का ज़बरदस्त झांसा

अरबियों को लगा कि ये तो लड़ेंगे नहीं क्योंकि इजरायल सरकार ने उनके सप्ताहांत के जश्न हेतु अपने फोजियों को छुट्टीयों पर भेज दिया था| अरब मीडिया में बार-बार यही दिखाया जा रहा था कि अब इजरायल का अंत निश्चित है—प्रधान मंत्री कमजोर हैं,चारों तरफ से दुश्मन फौजों से गिर चुके देश की सेना ऐश कर रही थी, ये क्या लड़ेंगे? यहाँ तक कि इज़राईली मीडीया भी परेशान होकर निराशावादी खबरें फैला रहा था।

अगले दिन 5 जून1967 दोपहर तक अचानक खबर मिलती है कि इज़रायली एयर फ़ोर्स ने अरब जगत के सबसे ताकतवर देश मिश्र की एयर फ़ोर्स को पूरी तरह से तबाह कर दिया है! हुआ यूँ  कि अरबी देश इज़रायल के माईंड गेम के चक्कर में आ गए: इज़रायक के मीडिया ने ज़बरदस्त भ्रमजाल रच कर सैनिकों को छुट्टी पर भेजने की झूटी खबरें बड़ी तरकीब से फैलाई  जिससे दुश्मन ऑफ-गार्ड हो गए थे।

मिश्र की शक्तिशाली एयर फ़ोर्स की टाँगे एक दिन में ही तोड़ दी

इधर सुबह-सुबह इज़राईली एयर फ़ोर्स के लगभग 200 विमान समंदर की सतह से सिर्फ 100 फीट पर उड़ने की रिस्क लेकर चले  ताकि दुश्मन के रेडार में ना आ सके और मात्र 6 घंटे के अंतराल में दो-चार के ग्रुप में एक के बाद एक करके कुल 200 फाईटर जेट आए  और पहले तो एयर बेसों के हवाई पट्टीयों पर बम्ब गिराकर उन्हें बेकार कर दिया और कुछ ही घंटों में  दुश्मन की शक्तिशाली एयर फ़ोर्स की टाँगे तोड़ दी।

हवाई ज़हाज़ ज़हाँ खड़े थे वहीं दफ़न कर दिए गए

अब मिश्र के विमान उड़ें कैसे तो उड़े कैसे? जहाँ थे वही के वही धरे रह गए| और फिर जो इज़रायली लड़ाकू विमानों ने ताबड़-तोड़ हमला बोला, एक के बाद एक हमले होते गए और मिश्र के ज़हाज़ जहां पार्क थे वहीं आग के गोले में तब्दील होकर वहीं दफ़न हो गए। आधे दिन के इस ऑपरेशन में  इज़रायल  ने मिश्र एयर फ़ोर्स के 400 विमानों को कबाड़ कर दिया। शाम तक सारे दुशमनों के मिलाकर इज़रायली लड़ाकुओं ने लगभग 550 लड़ाकू विमान खत्म कर दिए। ये सब संभव हुआ दुश्मन को झांसे में लेकर अप्रत्याशित हमले के खेल से!

अगले 5 दिन और ज़बरदस्त हमले

अब जबकि दुश्मनों की हवाई ताकत ख़त्म हो चुकी थी। दुसरे दिन जब मिश्र की टेंक बटालियन और फ़ौजी इस झटके से डर कर दूम दबा कर इजरायल  की सीमा से पलटकर भागने लगे तो इज़रायली एयर फ़ोर्स उन पर भूखे भेड़ियों की तरह पिल पड़ी। आसमान से आग की ऐसी बारीश की कि सिनाई का रेगिस्तान मिश्र के सेकड़ों अत्याधुनिक टेंकों और हज़ारों सैनिकों का कब्रिस्तान बन गया।

अगले दिनों में आक्रमण की पहल इस बार दुश्मन के दुसरे मोर्चों से जैसे सीरिया, जोर्डन और ईराक से शुरू हुआ परन्तु इज़रायली बहादुरों ने एक-एक कर सबको घुटने टेकने पर मजबूर कर लिया। ऐसा शौर्य युद्धों के इतिहास वे अनुपम और विरला था।

परिणाम

10 जून तक मात्र 6 दिनों में एक अदने से, नए छोटे देश ने महाशक्तिशाली 4 अरबी देशों को परास्त करके अपने से चार गुना बड़े भूभाग पर कब्ज़ा कर लिया! ये क्षेत्र थे: सिनाई, गाजापट्टी, वेस्ट बेंक व् जेरुसलम तथा गोलन हाईट्स।

इज़राईल द्वारा जीते हुए भूभाग (लाल रंग में)  (Source: world-news-research.com)

फिर हम भारतीय कहाँ पिट गए?

तो ज़रा सोचिये, भारत ने कारगिल के अतिरिक्त 4 बड़ी लडाईयाँ लड़ी जिसमें से 2 में हम बुरी तरह हारे: 1962 में चीन ने हमारे 43,000 वर्ग किलोमीटर  यानी लगभग आधे कश्मीर जितने भूभाग ‘अक्साई चीन’ पर कब्ज़ा कर लिया वो आज तक उसके पास है इसी प्रकार1947-48 में पकिस्तान ने हमारा आधे से ज्यादा कश्मीर छीन लिया था।

लाल बाउंड्री के अन्दर का सारा भारतीय क्षेत्र था लेकिन अब हमारे पास सिर्फ नारंगी रंग वाला ही बचा है  (Source: wikipedia.org)

विचारणीय है कि ऐसा कैसे हुआ? हमारी फ़ौज कोई कमतर नहीं थी| फिर हम कहाँ पिट गए? तो ऐसा कहा जाता है कि हम हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री की वज़ह से पिटे।  ये है वे दो लोग जो सबसे ज्यादा ज़िम्मेदार होने चाहिए थे लेकिन कुछ और ही निकले।

दोनों युद्धों में हमारी हार के ये दो मुख्य कारण:

  1. 1947 में नेहरू की ढुलमुल  नीति के चलते सरकार  ने पकिस्तान के आक्रमण के बावजूद 6 महीने तक हमारी सेना कश्मीर में नहीं भेजी| नतीजन  आधा कश्मीर हमारे हाथ से पकिस्तान ले गया जिसे हम आज POK कहते हैं।
  2. 1962 में हमारी एयरफोर्स चीन के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली थी लेकिन नेहरु और कृष्ण मेनन ने इसे इस्तेमाल की इजाज़त नहीं दी परिणामस्वरूप  हमारे हज़ारों ज़वान भेड़-बकरियों की तरह चीनी पैदल सेना के हाथों मारे गए।

उन नेताओं ने ऐसा क्यों किया, वह तो अब उनकी आत्मा ही जाने लेकिन चीन आज फिर हमें आँखे दिखा रहा है।

अपने विचार कमेन्ट बॉक्स में लिखें  और अगर  यह लेख अच्छा लगा हो तो शेयर ज़रूर करें।  आखिरकार, जनाब  ये मामला है हमारे देश का, ना कि काले अंग्रेजों के ऐश का।

Featured Image Credit: GPO/Reuters

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